ये लोकतंत्र है या वोटतन्त्र !!
है त्रस्त जनता और भ्रष्ट मंत्री
नहीं देश प्रेम है गुंडों का राज
जनता के हाथ कब आये राज II
प्रशासन है यूं… मौन क्यों
हत्याएं और लूटपाट यूं
क्यों हो रहे यूं सरे आम
अधीन मंत्री हो ,राजा अवाम II
शायद फिर हो सुशासन की आस
हो जाए दूर दिल की खटास
चहुँओर देश का हो विकास
ऐसे किसी को चुनना है खास II
"जय हिन्द"
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन दिखावे पे ना जाओ अपनी अक्ल लगाओ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमुझे तो लगता है कि जनता ही सचेत नहीं है .न निर्णय ले पाती है न सक्रिय है , .न जानने समझने की कोशिश करती है .तभी तो तना सब हो रहा है.
जवाब देंहटाएंbahoot khoob!...actually vote tantra is ruling every political party and leader.
जवाब देंहटाएंवोततन्त्र को लोकतन्त्र मे हमे ही बदलना होगा .......
जवाब देंहटाएंवाह... बहुत उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@भूली हुई यादों
बेहद सटीक और सामयिक रचना...मौका एक बार फिर हमारे सामने है. सोच समझ कर वोट करें ...
जवाब देंहटाएंसुशासन की आस तो सभी कर रहे हैं। सही चुनाव भी करें तब तो हो।
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