तुझे अंधेरे से डर लगता है तू माने या न माने
कोई चींटी भी न आ जाये तेरे पैरों के नीचे
सहम जाती है ऐसे जैसे तू चली है सज़ा पाने
मैंने देखा है तुझे डरते हुए अपने ख़्वाहिशों से
अपने ऊँचे ख़्वाबों से अपने ऊँचे हसरतों से
न डर इतना दुनिया से के तू मासूम है बहुत
मैं रहुंगा तेरे साथ तेरे ख़्वाबो डर को सम्हालने
©अनामिका