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सितंबर 13, 2011

जाने क्यों...




जाने क्यों ये
दिल रोता है ,
जीवन में सब
 कुछ धोखा है, 
चुपके से आना
दिल में समाना-
महकती पवन
 का झोंका है |

अनजान पल जो
 ढल गए कल,
रंग बदल मन-
 को गए छल,
वक्त के साथ
 रहे है गल,
बेवफाई ये
 अपनों का है |

राह वही,
वही है सफ़र ,
तेरा साथ 
नहीं है मगर ,
बिन तेरे- 
मेरे हमसफ़र 
टूटा सपनों का
 झरोखा है 

जाने क्यों ये
 दिल रोता है ,
जीवन में सब कुछ
 धोखा है, 





12 टिप्‍पणियां:

  1. जाने क्यों ये
    दिल रोता है ,
    जीवन में सब
    कुछ धोखा है,

    बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई आभार



    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति

    प्रेमपुर्ण रचना

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही बढ़िया।
    ------
    कल 14/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन में सब कुछ धोखा है...
    वाह...
    बढ़िया रचना...
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  5. तू है तो सब है
    तू नहीं तो कुछ भी नहीं...

    जवाब देंहटाएं
  6. बिन तेरे-
    मेरे हमसफ़र
    टूटा सपनों का
    झरोखा है

    ...बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

    जवाब देंहटाएं
  7. सबसे पहले हिंदी दिवस की शुभकामनायें /विरह वेदना को उजागर करती हुई सुंदर शब्दों मैं लिखी शानदार रचना बहुत बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /

    http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html

    जवाब देंहटाएं
  8. तुक की अपेक्षा शब्‍द संयोजन और अर्थ को संभालना ज्‍यादा श्रेयस्‍कर रहता है

    जि‍न्‍दगी का शॉट

    जवाब देंहटाएं

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