मेरी गली से जब भी गुजरीं वो
खुशबू का सैलाब सा बह गया
रूह तक पहुंची वो खुशबू-ए-उल्फत
मुहब्बत का तकाजा बढ़ गया
दिल के दामन में आकर
धूम मचाकर रख दिया
सपनो में भी चैन न आया
वो आयी और मै दीवाना हो गया
इश्क जब सर पर चढ़ा
वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई
वाह! क्या बात है!
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंवो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
एकदम नये शब्द दिये है भावो को
शुभकामनाये
khubsurat rachna
जवाब देंहटाएंaabhar
...
mere blog par
"jharna"
सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंइश्क जब सर पर चढ़ा
जवाब देंहटाएंवो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई
बिल्कुल सच है जी।