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जनवरी 20, 2011

मेरी गली से...........


मेरी गली से जब भी गुजरीं वो
खुशबू का सैलाब सा बह गया
रूह तक पहुंची वो खुशबू-ए-उल्फत
मुहब्बत का तकाजा बढ़ गया
दिल के दामन में आकर
धूम मचाकर रख दिया
सपनो में भी चैन न आया
वो आयी और मै दीवाना हो गया
इश्क जब सर पर चढ़ा
वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई

5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह क्या बात है
    वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई


    एकदम नये शब्द दिये है भावो को
    शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  2. इश्क जब सर पर चढ़ा
    वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
    अब तो ये हाल है जानम
    मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई

    बिल्कुल सच है जी।

    जवाब देंहटाएं

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