फ़ॉलोअर

सितंबर 03, 2010

रात का सूनापन


3D Snowy Cottage animated wallpaper

रात का सूनापन

मेरी जिन्दगी को सताए

दिन का उजाला भी

मेरे मन को भरमाये

क्यों इस जिन्दगी में

सूनापन पसर गया

खिलखिलाती ये जिन्दगी

गम में बदल गया

आना मेरी जिन्दगी में तेरा

एक नया सुबह था

वो रात भी नयी थी

वो वक्त खुशगवार था

वो हाथ पकड़ कर चलना

खिली चांदनी रात में

सुबह का रहता था इंतज़ार

मिलने की आस में

पर जाने वो हसीं पल

मुझसे क्यों छिन गया

जो थे इतने पास-पास

वो अजनबी सा बन गया

मेरे अनुरागी मन को

बैरागी बना दिया

रोग प्रेम का है ही ऐसा

कभी दिल बहल गया

कभी दिल दहल गया

20 टिप्‍पणियां:

  1. आना जी,
    दिल को इतना ना दहलाओ
    की पढने वाले दहल जायें
    अच्छी अभिव्यक्ति है
    डा.राजेंद्र तेला "निरंतर"
    अजमेर,

    जवाब देंहटाएं
  2. आना जी प्रेम का ही दूसरा नाम वेदना है ,क्योनी ख़ुशी और गम दोनों मिलते हैं . जो प्रेम की अनुभूति को पा चूका है वो समझ गया इसमें मिले शूल भी फूल से लगते हैं ......... अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने प्रेम की.

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! सुन्दर भाव! सुन्दर शब्द विन्यास!

    जवाब देंहटाएं
  4. वो अजनबी सा बन गया
    मेरे अनुरागी मन को
    बैरागी बना दिया
    रोग प्रेम का है ही ऐसा
    कभी दिल बहल गया

    बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।

    देसिल बयना – 3"जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे !!", राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी कविता..अंतिम पंक्तियां बहुत सुंदर हैं

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छी नज़्म ...
    कुछ वर्तनी की गलतियां जरुर हैं

    सुधारें ....!!

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रेम के दर्द और विवशता की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.....
    http://sharmakailashc.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  8. bahut behtAREEn....
    yun hi likhte rahein...

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रेम का रोग है ही ऐसा....

    सुंदर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  10. दिल की गहराइयों से निकले शब्द

    बहुत खूब बस ....बहुत अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं

ब्लॉग आर्काइव

widgets.amung.us

flagcounter

free counters

FEEDJIT Live Traffic Feed