भींगी हुई आँखों से जाती हुई रातों ने ,
जाने क्या-क्या कह गयी उसने बातों बातों में ॥
बातें जो कह गयी चुपके से रातों ने ,
अश्कों ने लिख दिए लम्हों की ज़ुबानी ये ॥
अश्कों के बूंदों में डूबी हुई ज़िन्दगी ,
जाने कब सुबह हो और ये आँखें खुलें ॥
न रहे हम होश में ख़ामोश है ज़िन्दगी ,
आ बैठें पहलू में सुन लूं तेरी ख़ामोशी ॥
मैं भी अंजाना हूँ ,तू भी अंजानी है ,
अंजानी रातों का बस ये कहानी है ॥
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