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जून 27, 2012

आँखों से नींदे बहे रे

















आँखों से नींदे बहे रे 
सपने सजन के कहे रे 
महल सुनहरे ख्वाब का 
बना ले नींद-ए-जहां में 


हवा में उड़े है वो सारे 
नींदों में बसा जो सपना 
क़ैद ख्वाबगाह में कर ले 
हो जायेगा वो अपना 




समय से परे कहीं पर 
सजा ले जहां वहीँ पर 
जमीं पर ख्वाब गिरे तो 
दरक न जाये हसीं पल ।।




आँखों के नींद कहे रे 
चुपके से सुन सजन रे 
सुरों में ढले जो सपने 
जहां सारा सुने रे ।।




पलकों के नीचे  है बसेरा 
फलक तक जाए हर रात 
होंठों को छू ले जो ये 
उजाला होवे सवेरा ।।



16 टिप्‍पणियां:

  1. समय से परे कहीं पर
    सजा ले जहां वहीँ पर
    जमीं पर ख्वाब गिरे तो
    दरक न जाये हसीं पल ।।

    बहुत सुन्दर ..

    जवाब देंहटाएं
  2. आँखों के नींद कहे रे
    चुपके से सुन सजन रे
    सुरों में ढले जो सपने
    जहां सारा सुने रे ।।

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति ... भावनाओं का सागर लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  4. के बारे में महान पोस्ट "आँखों से नींदे बहे रे"

    जवाब देंहटाएं
  5. मूंद लों पलके ..
    फिर भी कामना ..तब भी मुंदेगी नहीं |

    जवाब देंहटाएं

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