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अगस्त 01, 2013

मधुर तेरी बंसी














मधुर तेरा अंदाज़ 
मनहर सुर और नटवर साज़ 
भागे क्यों मन सुन आवाज़ 
सुरताल का तू सरताज 
मनभाया तेरा अंदाज़  !!

मधुर तेरी मुस्कान 
विरहा ये मन पाए सुकून 
सुन मधुर बंसी की धुन 
किस बगिया से लाया चुन 
मन भागे पीछे पुन-पुन  !!

मधुर तेरी माया 
बारिश की बूँदें रिमझिम 
इस तन पर लगे सुर सम 
सुन गुहार वंशी वाले 
दे दरस छंट जाये तम !!

मधुर तेरी बंसी 
सुन नृत्य करे धरा छम-छम 
फूल खिले गुलशन -गुलशन 
ताल - नदी- झरने-सागर 
बात जोहते है क्षण-क्षण !!

मधुर तेरी पूजा 
हे बंसीधर बंसी बजैया 
पार लगाओ हमारा खेवैया 
माया - मोह से हमें उबारो 
सुनाकर मोक्षदायिनी धुन !!


16 टिप्‍पणियां:

  1. मधुराष्टकम ध्वनित हो रहा है मन में!

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सही मायने में 'लोकमान्य' थे बाल गंगाधर तिलक - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. इस माया की हर बात निराली है ... हर बात माया है ...

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (05.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ,लाजवाब , ढेरो शुभकामनाये ,

    जवाब देंहटाएं
  7. कान्हा तेरी बंसी की बात निराली । सुंदर कविता ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

    कृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा

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