स्मृतियों के दलदल में यादों के गुलशन में सपनो के महफ़िल में नाम तेरा ही छुपा है नक्षत्रों के अक्ष पर मैंने अपने वक्ष पर धरा ने अपने कक्ष पर नाम तेरा ही लिखा है सूरज के किरणों में चंदा के चांदनी में तारों के रोशनाई में नाम तेरा ही रोशन है चढ़कर समय रथ पर फूलों से सजे पथ पर हाथ पर हाथ धरकर पी के संग जाना है मुड़कर न देखूं मै जो बढ़ाये कदम मैंने जन्मो का बंधन है संग संग जीना है |
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जून 19, 2011
स्मृतियों के दलदल में....
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मुड़कर न देखूं मै
जवाब देंहटाएंजो बढ़ाये कदम मैंने
जन्मो का बंधन है
संग संग जीना है.... waah! bhut sunder hai...
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंनक्षत्रों के अक्ष पर
जवाब देंहटाएंमैंने अपने वक्ष पर
धरा ने अपने कक्ष पर
नाम तेरा ही लिखा हैamazing
हाथ पर हाथ धरकर
जवाब देंहटाएंपी के संग जाना है ||
बहुत अच्छे !
साथ जीने का बहाना है ||
* नक्षत्रों के अक्ष पर
मैंने अपने वक्ष पर
धरा ने अपने कक्ष पर
नाम तेरा ही लिखा है ||
बनाइये मत---
हैं बड़े दक्ष
पिय के समक्ष
ये पाती प्रत्यक्ष--
आपने लिखा है ||
बहुत खोब .. हर सू वो ही वो हैं .. उनका ही नाम है ... लाजवाब रचना है ..
जवाब देंहटाएं* नक्षत्रों के अक्ष पर
जवाब देंहटाएंमैंने अपने वक्ष पर
धरा ने अपने कक्ष पर
नाम तेरा ही लिखा है ||
बहुत ही अच्छी रचना है...
बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खुबसुरत रचना।
जवाब देंहटाएंनक्षत्रों के अक्ष पर
जवाब देंहटाएंमैंने अपने वक्ष पर
धरा ने अपने कक्ष पर
नाम तेरा ही लिखा है
वाह लाजवाब पंक्तियाँ हैं अन्य पोस्ट भी पढ़े मकड़ी और माखी संवाद पढकर मजा आया
वाह ..बहुत खूब कहा है आपने ... बेहतरीन ।
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