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जून 14, 2011

मेरे गाँव में आना.....


मेरे गाँव में आना......................
जहां नदी इठलाती हुई कहती है
आजा पानी में तर जा
ये अमृत सी  बहती  है

मेरे घर का पता ...............
आम के पेड़ के नीचे
पुराने मंदिर के  पीछे
जहां भगवान् बसते है

मेरी शिक्षा-दीक्षा..................
किताब से बाहर
 यथार्थ के धरातल पर
बड़ों को सम्मान
पर स्वयं पर आत्मनिर्भर

मेरे मन की शक्ति ..................
अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध
आवाज़ उठाना विरोध जताना
सबको ये महसूस कराना
अपने अधिकार और कर्तव्य
पर करो चिंतन

पर मेरे गाँव के लोग ....................
बड़े भोले-भाले से
रहते है सीधे-सादे से
करते है सहज बात



17 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे घर का पता ...............
    आम के पेड़ के नीचे
    पुराने मंदिर के पीछे
    जहां भगवान् बसते है.......

    .बुलाके के हमें आपने गाव में बैठा देना आप की छाव में
    हमने किया है महसूश बड़ा सकूँ मिलता है हमरे गाव में ..बस ..याद आ गयी गाव की ,बहुत सुन्दर कविता.....

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर रचना जिस गाँव का आप ने सैर कराया पता बताया प्रभु ये प्यार दुलार बनाये रखें धन्यवाद

    मेरे घर का पता ...............
    आम के पेड़ के नीचे
    पुराने मंदिर के पीछे
    जहां भगवान् बसते है
    शुक्ल भ्रमर५

    जवाब देंहटाएं
  3. काश सभी गांव ऐसे होते...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  4. पर मेरे गाँव के लोग ....................
    बड़े भोले-भाले से
    रहते है सीधे-सादे से
    करते है सहज बात

    आप के जैसे ही तो होंगे आपके गाँव के लोग !

    जवाब देंहटाएं
  5. ऐसे ही गाँव को तलाश रहे थे , आ पहुंचें ना ...
    बेहद खूबसूरत गीत...कविता का शीर्षक बहुत लुभावना है !

    जवाब देंहटाएं
  6. आदर्श ग्राम का शब्द चित्र अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  7. ग्राम्य जीवन की सुंदर झांकी है आपकी कविता में

    आभार

    ब्लॉग4वार्ता-नए कलेवर में

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर भावाभिव्यक्ति ..आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  9. bahu hi achche village ka parichay karayaa aapne rachanaa ke maadhyam se ,bahut hi sunder prastuti.badhaai aapko.

    जवाब देंहटाएं

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