एक नारी के मन की - व्यथा हो तुम धूलिसात अभिमान का प्रतीक हो तुम रिश्तों में छली गयी नारी हो तुम पर निष्ठुर भाग्य को धता देती हो तुम अंतस की पीड़ा का आख्यान हो तुम द्युतक्रीडा के परिणाम का व्याख्यान हो तुम भक्ति की पराकाष्ठा को छूती हो तुम एक अबला की सबल - गाथा हो तुम मर्यादित रिश्तों की भाषा हो तुम एक सुलझी हुई नारी की पहचान हो तुम |
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अप्रैल 28, 2011
द्रौपदी
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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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गूंजे कोयल की कूक से जंगल में मीठी तान पवन चले मंद मंद गाये दादुर गान , आम्र मंजरी के महक से महके वन-वनांतर पथिक का प्यास बुझाए न...
भक्ति की पराकाष्ठा को
जवाब देंहटाएंछूती हो तुम
एक अबला की सबल -
गाथा हो तुम
मर्यादित रिश्तों की
भाषा हो तुम
एक सुलझी हुई नारी की
पहचान हो तुम
नारी जीवन के सन्दर्भों को उद्घाटित करती हुई रचना ....आपने बखूबी उसकी भावनाओं और संवेदनाओं का चित्र खींचा है ....द्रोपदी जैसे प्रतिक के माध्यम से ......आपका आभार !
एक अबला की सबल -
जवाब देंहटाएंगाथा हो तुम
मर्यादित रिश्तों की
भाषा हो तुम
एक सुलझी हुई नारी की
पहचान हो तुम
bahut sahi chitran
नारी के व्यक्तिव की पीड़ा, सहनशीलता और आचरण को भावपूर्ण रूप से व्यक्त किया है इस कविता में...
जवाब देंहटाएंनारी के व्यक्तिव की पीड़ा, सहनशीलता और आचरण को भावपूर्ण रूप से व्यक्त किया है इस कविता में...
जवाब देंहटाएंद्युतक्रीडा के परिणाम का
जवाब देंहटाएंव्याख्यान हो तुम
भक्ति की पराकाष्ठा को
छूती हो तुम
एक अबला की सबल -
गाथा हो तुम
sach me ............bilkul sach!
अति उत्तम...इस संवेदनापूर्ण पोस्ट के लिए मेरी ओर से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंमर्यादित रिश्तों की
जवाब देंहटाएंभाषा हो तुम
एक सुलझी हुई नारी की
पहचान हो तुम
नारी जीवन का सार्थ ...प्रभावी रचना
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना..
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया! जितनी तारीफ की जाये कम है!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
एक नारी के मन की -
जवाब देंहटाएंव्यथा हो तुम
रिश्तों में छली गयी
नारी हो तुम
सार्थक रचना..!!
ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग पर आने से हिंदुत्व का विरोध करने वाले कट्टर मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष { कायर} हिन्दू भी परहेज करे.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
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