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जुलाई 18, 2023

उदासियां

तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर
मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया

चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ
गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गया

क़ाबिल था भरोसा था खूब खुद पर
जालिम दुनिया से मगर ये भी न देखा गया

उम्र कट रही मेरी पहर पहर जागकर
उनींदा रहता हूँ ये चाँद से भी न रहा गया

उजाला ए क़मर औ' तारों की जगमगाहट है
दिल ए तीरगी से पर ये रोशनी भी न सहा गया







नवंबर 06, 2022

देर न लगेगी


हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर
अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी

टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर
अब वफ़ाओं के मुस्कुराने में देर न लगेगी

वो आलम वो लम्हा जो गवाह थे फ़साने के
उन लम्हो को बीतने में ज़रा भी देर न लगेगी

वो पुराना रास्ता गुलों से जो लबालब था
हवाला ए खिज़ा में अब उसे देर न लगेगी

अगस्त 06, 2022

डर

तुझे जनता हूँ मैं जितना शायद ही कोई जाने
तुझे अंधेरे से डर लगता है तू माने या न माने

कोई चींटी भी न आ जाये तेरे पैरों के नीचे
सहम जाती है ऐसे जैसे तू चली है सज़ा पाने

मैंने देखा है तुझे डरते हुए अपने ख़्वाहिशों से
अपने ऊँचे ख़्वाबों से अपने ऊँचे हसरतों से

न डर इतना दुनिया से के तू मासूम है बहुत
मैं रहुंगा तेरे साथ तेरे ख़्वाबो डर को सम्हालने 

©अनामिका

अगस्त 01, 2022

मुहब्बत


कुछ दिनों से मैं अक्सर ना-साज़ सा रहने लगा हूँ
ये क्या बला है मुहब्बत नाराज़ सा रहने लगा हूँ
Kuchh Dinon Se Main Aksar NASAZ Sa Rahane Laga Hun
Yah kya Bala Hai Mohabbat NARAZ Sa Rahane Laga Hun

जुलाई 30, 2022

वजूद अपना






















कदम से कदम मिलाकर देख लिया 
आसान नहीं है तेरे साथ चलना 

तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी 
मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना 

यूँ तो तू दरिया और मैं बरसता पानी  
धरम हमारा एक है यही कहता है ज़माना 

पर याराना न हो जो दोनों दिलों में 
मुमकिन नहीं छत ओ  दीवार का एक होना 

@अनामिका घटक 

जुलाई 26, 2022

अहम

हर घड़ी में खुद को #व्याप्त रखती हूं
मैं #नाव हूँ खुद ही #पतवार बनती हूँ

बरसों #गुम थी न जाने किस #जहां में 
इस जहाँ में ही अब #आशियाना बुनती हूँ

हर #मौसम में खुद को #ढाल के देखा
हर #मंजर में खुद को #संभाल के देखा

#मुद्दत से कोई #ख़्वाब भी न आया
#रात #नींद के #आगोश में जाकर भी देखा

#आईना देखा तो #नक़ाब रुख़ का देखा
सादे से मन पर #फरेब का #परत भी देखा

अब न होता खुद से #जवाब #तलब कोई
मोम से पत्थर बन कर #जवाब ढूंढ़ती हूँ
©अनामिका

जुलाई 18, 2022

मुलाक़ात


Tujhe khokar bahut dinon tak dhoondha tujhe Maine
Aa bhi jao janejan ke Kai din hue khud se  Mile hue

तुझे खोकर बहुत दिनों तक ढूंढता रहा मैंने तुझे
आ भी जाओ  के कई दिन हुए खुद से मिले हुए
©अनामिका

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