सुन लो नभ क्या कहता है धरती में पडा सन्नाटा है, असंख्य तारों की बातें कोई नहीं सुन पाता है व्यथा है इनकी भी- सुध लो आती रोशनाई को धर लो हो सकता है धरती की कोई व्यथा है कहती है-सुन लो ऊपर गगन है नीचे जन भ्रष्ट तंत्र -भूखे जन-गण नेताओं की लूट कथा को बांच रही नभ कर-कर वर्णन जन-जन अब होकर जागृत करने न देंगे ...कुकृत्य बरसेगा घनघोर घटा भर भर लेकर बूँद अमृत |
---|
फ़ॉलोअर
अगस्त 26, 2011
सुन लो ..........
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
-
तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
-
ख़्वाब तेरी किरचियाँ बन आँखों को अब चुभने लगी गम की आँधियाँ इस तरह ख्वाबों के धूल उड़ा गए मंज़िल पास थी रास्ता साफ था दो कदम...
ब्लॉग आर्काइव
widgets.amung.us

















































बेहतरीन कथन अमृत जरूर बरसेगा
जवाब देंहटाएंजन-जन अब होकर जागृत
जवाब देंहटाएंकरने न देंगे ...कुकृत्य
बरसेगा घनघोर घटा
भर भर लेकर बूँद अमृत
सही और सार्थक कविता ........
सटीक व सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सटीक भाव लिए हुए सुंदर रचना, बधाई .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना, सार्थक और खूबसूरत प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएं