मेरे घर के आगे है पथरीली ज़मीन हो सके तो आओ इन पत्थरों पर चलकर खरीद लो रोशनी ज़िंदगी रोशन कर लो की कदमों के निशाँ को मिटा न पाऊँ आखिर किसी को पता न चले यहाँ रास्ता मेरे घर से होकर गुज़रता है |
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ख़्वाब तेरी किरचियाँ बन आँखों को अब चुभने लगी गम की आँधियाँ इस तरह ख्वाबों के धूल उड़ा गए मंज़िल पास थी रास्ता साफ था दो कदम...
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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
"किसी को पता न चले
जवाब देंहटाएंयहाँ रास्ता मेरे घर से होकर गुज़रता है"
बहुत ही बढ़िया.
सादर
मेरे घर के आगे है पथरीली ज़मीन
जवाब देंहटाएंहो सके तो आओ इन पत्थरों पर चलकर
bahut sundar
पूनम की चाँद ने रोशनी की दूकान खोली है
जवाब देंहटाएंखरीद लो रोशनी ज़िंदगी रोशन कर लो
अच्छी पंक्तियाँ हैं|
वाह ! जी,
जवाब देंहटाएंइस कविता का तो जवाब नहीं !
बहुत खूबसूरत शेर ......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .... ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंbahut khoob...inhi pattharon pe chal kar chalo aa sako to aao,mere ghar ke raaste mein koyi kahkashan nahin hai...
जवाब देंहटाएंआखिर किसी को पता न चले
जवाब देंहटाएंयहाँ रास्ता मेरे घर से होकर गुज़रता है
बहुत बढ़िया!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
किसी को पता न चले
जवाब देंहटाएंयहाँ रास्ता मेरे घर से होकर गुज़रता है"
bahut khoob
मेरे घर के आगे है पथरीली ज़मीन
हो सके तो आओ इन पत्थरों पर चलकर
man ko bha gayi .
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
जवाब देंहटाएंbahut khub..........
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