नदी में ज्वार आया
पर तुम आये कहाँ
खिडकी दरवाजा खुला है
पर तुम दिखे कहाँ
पेड़ों की डालियों पर
मुझे देख कोयल कूके
पर आज भी तुम दिखे नही
आखिर तुम हो कहाँ
सजी-धजी मंदिर जाऊं
पूजा करूँ सजदा करूँ
कभी तो पसीजोगे तुम
गर दिख जाओ मुझे यहाँ
लोग मुझे देख हँसे
दीवानी लोग मुझे कहे
अश्रु के सैलाब से
भर गया ये जहां
पर तुम आये कहाँ
खिडकी दरवाजा खुला है
पर तुम दिखे कहाँ
पेड़ों की डालियों पर
मुझे देख कोयल कूके
पर आज भी तुम दिखे नही
आखिर तुम हो कहाँ
सजी-धजी मंदिर जाऊं
पूजा करूँ सजदा करूँ
कभी तो पसीजोगे तुम
गर दिख जाओ मुझे यहाँ
लोग मुझे देख हँसे
दीवानी लोग मुझे कहे
अश्रु के सैलाब से
भर गया ये जहां
नजरुल कविता से अनुदित
खूबसूरत प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंअश्रु के सैलाब से
जवाब देंहटाएंभर गया ये जहां
खूबसूरत प्रस्तुति .......
बहुत सुन्दर भाव्।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएं