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अगस्त 26, 2011

सुन लो ..........


सुन लो नभ क्या कहता है
धरती में पडा सन्नाटा  है,
असंख्य तारों की बातें
कोई नहीं सुन पाता है


व्यथा है इनकी भी- सुध  लो
आती रोशनाई को धर लो
हो सकता है धरती  की कोई
व्यथा है कहती  है-सुन लो


ऊपर  गगन है नीचे जन
भ्रष्ट तंत्र  -भूखे  जन-गण
नेताओं की लूट कथा को
बांच  रही नभ कर-कर वर्णन


 जन-जन अब  होकर जागृत
करने  न देंगे ...कुकृत्य
बरसेगा  घनघोर घटा
भर भर लेकर  बूँद अमृत






5 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन कथन अमृत जरूर बरसेगा

    जवाब देंहटाएं
  2. जन-जन अब होकर जागृत
    करने न देंगे ...कुकृत्य
    बरसेगा घनघोर घटा
    भर भर लेकर बूँद अमृत
    सही और सार्थक कविता ........

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक और सटीक भाव लिए हुए सुंदर रचना, बधाई .....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर रचना, सार्थक और खूबसूरत प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं

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