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जुलाई 21, 2010

देश बेच डाला

बस्तों और किताब ने मिलकर 
बचपन खो डाला 
माता-पिता के दबाव ने मिलकर 
बचपन धो डाला 


समाज के कुरीतियों ने तो 
शोषण कर डाला 
प्रशासन की अकर्मण्यता ने तो 
सेंध लगा डाला 


सरकार की ढुलमुल नीतियों ने तो 
महंगाई कर डाली 
विरोधियों की राजनीति ने तो 
नक्सल बना डाला 


पडोसी देश के हुज्जत ने तो 
नीद उड़ा डाली .
कोई आश्चर्य नही की इन सबने 
देश बेच डाला  

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