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जुलाई 13, 2010
दिन में दिखा तारा .........
लौटे सब स्कूल में अब
समाप्त हुआ छुट्टी
फिर से चले किताब लिए
सब है दुखी-दुखी
पढने के बाद सब बच्चों का
इरादा क्या था इसबार
समय हुआ है अब
हिसाब देने की है दरकार
किसी ने पढ़ा पोथी पत्र
और किसी ने किये केवल गप्प
कोई तो था किताबी कीड़ा
और कुछ ने पढ़ा अल्प
कुछ बच्चो ने रट्टा मारा
किया रटकर याद
कुछ ने तो बस किसी तरह
समय दिया काट
गुरूजी ने डांटकर पूछा
सुन रे तू गदाई
इस बार तुने पढ़ा भी कुछ
या खेलकर समय बिताई
गदाई ने तो डर के मारे
आँखे फाड़कर खाँसा
इस बार तो पढ़ाई भी था
कठिन सर्वनाशा
ननिहाल मै घूमने गया
पेड़ पर खूब चढ़ा
धडाम से मै ऐसे गिरा
दिन में दिखा तारा
कवि सुकुमार राय द्वारा रचित कविता का काव्यानुवाद
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bahut sundar anuvad kiya hai aapne...badhai
जवाब देंहटाएंbahat khoob.......
जवाब देंहटाएंek sacchayi bhi hai ki school khulne se bacche bade dukhi hai kyunki chuttiyan khatam ho gayi ......
Bachhe aise hi hote hain ji.....
जवाब देंहटाएंअच्छा अनुवाद किया है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर अनुवाद है.विषय रोचक है.अनुवाद मई विषय का भाव बनाये रखा गया है जो कठिन कार्य था.
जवाब देंहटाएंविजय,,संवर्तिकाbright.ब्लागस्पाट.co