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नवंबर 12, 2017

शून्य काल










शून्य का मैं खोज हूँ 
शून्य का मैं ओज हूँ 
शून्य  के रथ पर सवार 
शून्य का मैं आज हूँ 

शून्य का कपाट हूँ 
शून्य सा विराट हूँ 
शून्य सा ही क्षुद्र मैं 
शून्य का ललाट हूँ 

अवसाद में है शून्यता 
विषाद में है शून्यता 
प्रसन्नता में शून्यता 
विपन्नता में शून्यता 

शून्य मेघ का गरज 
शून्य विद्युत सा लरज 
शून्य सूर्य सा है तप्त 
शून्य चंद्र सा है सर्द


शून्य सा प्रखर हूँ मैं
शून्य का शिखर हूँ मैं
शून्य सा हूँ मापदण्ड
शून्य सा मुखर हूँ मैं

शून्य का अलाप हूँ
शून्य का विलाप हूँ
शून्य का हूँ शब्दरूप
शून्य का संलाप हूँ

रात्रि शून्य में विलय
शून्य शनि का वलय
तारकों में टिमटिमाता
प्रकाश का महाप्रलय

शून्य में है स्तब्धता
शून्य में है क्षुब्धता
शून्य को विराम दो
कि शून्य में है गत्यता

शून्य मार्ग प्रशस्त कर
बाधाएं निरस्त कर
शत्रु को शिकस्त दे तू
धर्म को तदर्थ धर

आओ शून्य में चलें
आओ शून्य में ढलें
शून्य के आकाश में
हम ह्रस्व-दीर्घ पग भरें

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