मधुर तेरा अंदाज़
मनहर सुर और नटवर साज़
भागे क्यों मन सुन आवाज़
सुरताल का तू सरताज
मनभाया तेरा अंदाज़ !!
मधुर तेरी मुस्कान
विरहा ये मन पाए सुकून
सुन मधुर बंसी की धुन
किस बगिया से लाया चुन
मन भागे पीछे पुन-पुन !!
मधुर तेरी माया
बारिश की बूँदें रिमझिम
इस तन पर लगे सुर सम
सुन गुहार वंशी वाले
दे दरस छंट जाये तम !!
मधुर तेरी बंसी
सुन नृत्य करे धरा छम-छम
फूल खिले गुलशन -गुलशन
ताल - नदी- झरने-सागर
बात जोहते है क्षण-क्षण !!
मधुर तेरी पूजा
हे बंसीधर बंसी बजैया
पार लगाओ हमारा खेवैया
माया - मोह से हमें उबारो
सुनाकर मोक्षदायिनी धुन !!
मधुराष्टकम ध्वनित हो रहा है मन में!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सही मायने में 'लोकमान्य' थे बाल गंगाधर तिलक - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंlatest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
सुन्दर... रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: तेरी याद आ गई ...
बहुत सुन्दर...मधुर....
जवाब देंहटाएंअनु
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंइस माया की हर बात निराली है ... हर बात माया है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (05.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंवाह ,लाजवाब , ढेरो शुभकामनाये ,
जवाब देंहटाएंकान्हा तेरी बंसी की बात निराली । सुंदर कविता ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
sundar abhivyakti..
जवाब देंहटाएंEid Mubarak..... ईद मुबारक...عید مبارک....