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मई 24, 2013

आज भारत है लज्जित.....

महान कविगुरु रविन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित ये  कविता कितना  सटीक प्रतीत होता  है ..........
 

 आज भारत  है लज्जित
हीनता से सुसज्जित 
न  वो पौरुष न विचार 
न वो तप न सदाचार 
अंतर -बाह्य ,धर्मं -कर्म
सभी ब्रह्म विवर्जित 

हे रूद्र !!!!
धिक्कृत लांछित इस पृथ्वी पर 
सहसा करो बज्राघात 
हो जाये सब धूलिसात 
पर्वत-प्रांतर- नगर-गाँव 
जागे लेकर आपका नाम 
पुण्य-वीर्य-अभय-अमृत से 
धरा पल में हो सुसज्जित ॥ 

আজি এ ভারত লজ্জিত হে,
হীনতাপঙ্কে মজ্জিত হে
নাহি পৌরুষ, নাহি বিচারণা, কঠিন তপস্যা, সত্যসাধনা-
অন্তরে বাহিরে ধর্মে কর্মে সকলই ব্রহ্মবিবর্জিত হে ।।
ধিককৃত লাঞ্ছিত পৃথ্বী'পরে, ধূলিবিলুন্ঠিত সুপ্তিভরে-
রুদ্র, তোমার নিদারুণ বজ্রে করো তারে সহসা তর্জিত হে ।
পর্বতে প্রান্তরে নগরে গ্রামে জাগ্রত ভারত ব্রহ্মের নামে,
পুণ্যে বীর্যে অভয়ে অমৃতে হইবে পলকে সজ্জিত হে ।। 

 
 

10 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अरुणिमा सिन्हा को सलाम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. लाजवाब अभिव्यक्ति | बहुत सुन्दर | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  3. बेहतरीन.. गुरुदेव की रचना को शेयर करने के लिए धन्यवाद्...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्यारी रचना,,, साझा करने के लिए आभार ,,,

    Recent post: जनता सबक सिखायेगी...

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  5. bahut dino bad dikhai dee hain aap anamika ji .achchha laga aapka yahan upasthit hona ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति .मन को छू गयी .आभार . कुपोषण और आमिर खान -बाँट रहे अधूरा ज्ञान साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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  6. उत्कृष्ट रचना-साझा करने के लिए आभार
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post: बादल तू जल्दी आना रे!
    latest postअनुभूति : विविधा

    जवाब देंहटाएं
  7. टैगोर जी की उत्कृष्ट रचना साझा करने के लिए शुक्रिया.....

    जवाब देंहटाएं
  8. गुरुवर की अनमोल कृति हम सबसे शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद अनामिका जी ! बहुत सार्थक सन्देश दे रही है यह रचना ! अति सुंदर !

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  9. हे रूद्र !!!!
    धिक्कृत लांछित इस पृथ्वी पर
    सहसा करो बज्राघात
    हो जाये सब धूलिसात
    पर्वत-प्रांतर- नगर-गाँव
    जागे लेकर आपका नाम
    ..और आज रूद्र जैसे केदारनाथ से तांडव करते आ गए है ...रविंद्रनाथ ठाकुर की कालजयी रचना प्रस्तुति के लिए आभार

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