महान कविगुरु रविन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित ये कविता कितना सटीक प्रतीत होता है ..........
आज भारत है लज्जित
हीनता से सुसज्जित
न वो पौरुष न विचार
न वो तप न सदाचार
अंतर -बाह्य ,धर्मं -कर्म
सभी ब्रह्म विवर्जित
हे रूद्र !!!!
धिक्कृत लांछित इस पृथ्वी पर
सहसा करो बज्राघात
हो जाये सब धूलिसात
पर्वत-प्रांतर- नगर-गाँव
जागे लेकर आपका नाम
पुण्य-वीर्य-अभय-अमृत से
धरा पल में हो सुसज्जित ॥
আজি এ ভারত লজ্জিত হে,
হীনতাপঙ্কে মজ্জিত হে
নাহি পৌরুষ, নাহি বিচারণা, কঠিন তপস্যা, সত্যসাধনা-
অন্তরে বাহিরে ধর্মে কর্মে সকলই ব্রহ্মবিবর্জিত হে ।।
ধিককৃত লাঞ্ছিত পৃথ্বী'পরে, ধূলিবিলুন্ঠিত সুপ্তিভরে-
রুদ্র, তোমার নিদারুণ বজ্রে করো তারে সহসা তর্জিত হে ।
পর্বতে প্রান্তরে নগরে গ্রামে জাগ্রত ভারত ব্রহ্মের নামে,
পুণ্যে বীর্যে অভয়ে অমৃতে হইবে পলকে সজ্জিত হে ।।
आज भारत है लज्जित
हीनता से सुसज्जित
न वो पौरुष न विचार
न वो तप न सदाचार
अंतर -बाह्य ,धर्मं -कर्म
सभी ब्रह्म विवर्जित
हे रूद्र !!!!
धिक्कृत लांछित इस पृथ्वी पर
सहसा करो बज्राघात
हो जाये सब धूलिसात
पर्वत-प्रांतर- नगर-गाँव
जागे लेकर आपका नाम
पुण्य-वीर्य-अभय-अमृत से
धरा पल में हो सुसज्जित ॥
আজি এ ভারত লজ্জিত হে,
হীনতাপঙ্কে মজ্জিত হে
নাহি পৌরুষ, নাহি বিচারণা, কঠিন তপস্যা, সত্যসাধনা-
অন্তরে বাহিরে ধর্মে কর্মে সকলই ব্রহ্মবিবর্জিত হে ।।
ধিককৃত লাঞ্ছিত পৃথ্বী'পরে, ধূলিবিলুন্ঠিত সুপ্তিভরে-
রুদ্র, তোমার নিদারুণ বজ্রে করো তারে সহসা তর্জিত হে ।
পর্বতে প্রান্তরে নগরে গ্রামে জাগ্রত ভারত ব্রহ্মের নামে,
পুণ্যে বীর্যে অভয়ে অমৃতে হইবে পলকে সজ্জিত হে ।।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अरुणिमा सिन्हा को सलाम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंलाजवाब अभिव्यक्ति | बहुत सुन्दर | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बेहतरीन.. गुरुदेव की रचना को शेयर करने के लिए धन्यवाद्...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्यारी रचना,,, साझा करने के लिए आभार ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
bahut dino bad dikhai dee hain aap anamika ji .achchha laga aapka yahan upasthit hona ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति .मन को छू गयी .आभार . कुपोषण और आमिर खान -बाँट रहे अधूरा ज्ञान साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना-साझा करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: बादल तू जल्दी आना रे!
latest postअनुभूति : विविधा
बहुत सही
जवाब देंहटाएंटैगोर जी की उत्कृष्ट रचना साझा करने के लिए शुक्रिया.....
जवाब देंहटाएंगुरुवर की अनमोल कृति हम सबसे शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद अनामिका जी ! बहुत सार्थक सन्देश दे रही है यह रचना ! अति सुंदर !
जवाब देंहटाएंहे रूद्र !!!!
जवाब देंहटाएंधिक्कृत लांछित इस पृथ्वी पर
सहसा करो बज्राघात
हो जाये सब धूलिसात
पर्वत-प्रांतर- नगर-गाँव
जागे लेकर आपका नाम
..और आज रूद्र जैसे केदारनाथ से तांडव करते आ गए है ...रविंद्रनाथ ठाकुर की कालजयी रचना प्रस्तुति के लिए आभार