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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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कदम से कदम मिलाकर देख लिया आसान नहीं है तेरे साथ चलना तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना यूँ तो तू दरिया और ...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति लाजबाब रचना
जवाब देंहटाएंRecent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
रंग-तरंगित दस दिशा
जवाब देंहटाएंराग बसंत गाये निशा ,
तरु-द्रुम करे केलि क्रीडा-
सुनी वसंत आगमन कथा ॥
बहुत सुन्दर...
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना
अनु
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएं.
बसंत के आगमन का बहुत सुन्दर चित्र खींचा है ! प्यारी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब क्या बात है बहुत सुन्दर पक्तिया
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
मेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
बहुत सुन्दर वासंती छटा बिखेरती रचना ..
जवाब देंहटाएंबसंत के आगमन का बहुत सुन्दर रचना .............
जवाब देंहटाएंरंग-तरंगित दस दिशा
जवाब देंहटाएंराग बसंत गाये निशा ,
तरु-द्रुम करे केलि क्रीडा-
सुनी वसंत आगमन कथा ...
बसंती रंग बिखरती लाजवाब रचना ... पवन आभास दे रही है आने का ...
स्वागत है ...
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