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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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कदम से कदम मिलाकर देख लिया आसान नहीं है तेरे साथ चलना तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना यूँ तो तू दरिया और ...
हर दिन फाग सा....
जवाब देंहटाएंइन्तहा है इंतज़ार की...प्यार की...
सुन्दर भाव..
अनु
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव लिए कविता बधाई अनु जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव लिए रचना,,,
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंपधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
क्या कहु...
जवाब देंहटाएंएकदम दिल को छू लेनेवाली रचना...
बहुत ही बेहतरीन....
दिल के भावों से सजी लेखनी ....बहुत खूब
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