उलझी निगाहें तेरी उलझी जटाओं में ,
रे बरगद तन के तू खडा कैसे राहों में -
तेरे पनाह में पनपे न कोई पौधा रे ,
फिर भी तुझे पूजे जग के सब बन्दे रे !!
शाख तेरी मजबूत बाहों की सलामी दे
फल न फूल केवल पत्तों की छाया ही दे
माना तेरी जटाओं में है औषध के गुण
पूजा तेरी की जाती है गाकर कई धुन
साक्षी है तू ही सावित्री पूजा की रे -
चिड़ियों गिलहरियों का तुझमे बसेरा है रे
फिर भी न जाने क्यों तू ये न चाहे रे
तेरी पनाह में पनपे कोई पौधा रे !!!
साक्षी है तू ही सावित्री पूजा की रे -
जवाब देंहटाएंचिड़ियों गिलहरियों का तुझमे बसेरा है रे
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बरगद खुद में एक पूरा कुनबा होता है इसकी शाखाएं पुन :वृक्ष बन जातीं हैं जड़ों का विस्तार बहुत है .बूढा बरगद देखना है तो आई आई टी ,मद्रास कैम्पस में पधारें ,पूरी एक बैनयन लेन है . इस परिसर में कुलांचे भरते हिरन हैं .मृग शावक हैं .वट वृक्षों की मक्का है यह .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता है
जवाब देंहटाएं--- शायद आपको पसंद आये ---
1. ब्लॉगर में LinkWithin का Advance Installation
2. मुहब्बत में तेरे ग़म की क़सम ऐसा भी होता है
3. तख़लीक़-ए-नज़र
अच्छा लिखा है...
जवाब देंहटाएंबरगद के पेड़ की तो बात ही क्या!!! कितने ही जीव-जन्तुओं, छोटे-छोटे पौधों की शरण स्थली होता है....
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |
जवाब देंहटाएंऐसी ही कविता कभी लिखी थी मैंने भी ....
जवाब देंहटाएंबरगद अकेला है..कोई और वृक्ष पास नहीं,बोलने बतियाने को..
खुद पशेमां है कि उगने न दिया किसी पौध को अपने नीचे...
कभी पढवाना चाहूंगी आपको
सादर
अनु
बरगद की शाखें अनगिनत पशु पक्षियों इंसानों को पनाह देती है , बस एक पौधा नहीं पनपा सकती .
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण कोई नहीं इस जग में !
कविता बेहद खूबसूरत हैं ...भाव सम्पूर्ण हैं ...
जवाब देंहटाएंपर बरगद को पास से देखने में डर लगता हैं ....दिन के समय इसकी खूबसूरती जिंतनी अच्छी लगती हैं ...रात के समय ये उतना ही भयानक दिखता हैं ...इसका अनुभव अभी कुछ वक्त पहले ही किया था ....२ घंटे बरगद के नीचे बिताने के बाद ....मन में बस ये ही ख्याल आया ....भगवान करे ...मैं इसके नीचे फिर कभी ना खड़ी होऊं ...
बहुत खूब , बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंdhanywad avm aabhar..badhiya lekhan..
जवाब देंहटाएं