देख रही थी एकटक सितारों को
आसमान पिघलने लगा ,
चाँद की चांदनी पड़ी मद्धिम -
बादल छाने लगा ।।
दूर गगन में तारों की महफ़िल
एकाएक सजने लगी
बादल का ओट लेकर फिर से
रौशनी मचलने लगी ।।
देख मचलना तारों का
इक आस सी जगी
सुना है टूटता तारा
करता है मुराद पूरी ।।
थाह नहीं मेरे जज्बातों का
बादल से शिकायत कर बैठी
छंट गए बादल खुला आसमान
रौशनी फिर चढ़ बैठी ।।
बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
देख रही थी एकटक सितारों को
जवाब देंहटाएंआसमान पिघलने लगा ,
चाँद की चांदनी पड़ी मद्धिम -
बादल छाने लगा ।।
behtreen abhivaykti....
ये किसके आने का इंतज़ार हैं
जवाब देंहटाएंथाह नहीं मेरे जज्बातों का
जवाब देंहटाएंबादल से शिकायत कर बैठी
छंट गए बादल खुला आसमान
रौशनी फिर चढ़ बैठी ।।
...बहुत ख़ूबसूरत और भावमय प्रस्तुति...