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फ़रवरी 03, 2012

नूतन मनहरण....


नूतन मनहरण किरण से त्रिभुवन को जगा दो
निहारूं तुम्हारे आँखों पर आये अपार करुणा को

नमन है निखिल चितचारिणी धरित्री को जो
नित्य नृत्य करे -- नुपुर की ध्वनि को जगा दो

तुम्हे पूजूं हे देव-देवी कृपा दृष्टि रख दो
रागिनी की ध्वनी बजे आकाश नाद से भर दो

इस  मन को निवेदित करूं मै तुम्हारे चरणों पर
प्रेम-रूप से भरी धरनी की पूजा मै कर लूं



14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सार्थक रचना। धन्यवाद।

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  2. आपकी रचना के शब्द और भाव अप्रतिम हैं...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  3. वन्दनामय सुन्दर रचना, शब्द बखूबी इस्तेमाल किये है !

    जवाब देंहटाएं
  4. नूतन मनहरण किरण से त्रिभुवन को जगा दो
    निहारूं तुम्हारे आँखों पर आये अपार करुणा को

    अति मनोहारिणी रचना....
    प्रेममयी...
    करुणामयी.....

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  5. मंत्रमुग्ध कर देनेवाली प्रस्तुति शानदार है |अब पढ़िए दिल की जज्बात यहाँ पधारें

    http://www.akashsingh307.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहद ख़ूबसूरत और मनमोहक रचना! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर भाव संयोजन....http://mhare-anubhav.blogspot.com/ समय मिले कभी तो आयेगा मेरी इस पोस्ट पर आपका स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही खुबसूरत
    और कोमल भावो की अभिवयक्ति.....

    जवाब देंहटाएं
  9. शब्द बहुत सुन्दर हैं..
    kalamdaan.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  10. खूबसूरत एवं सराहनीय रचना के लिये बधाई.......
    कृपया इसे भी पढ़े-
    नेता कुत्ता और वेश्या

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