दिल की तरकीब खास कुछ काम न आ या न दिल को मिला सुकून न मन को चैन आया दिल लहूलुहान हुआ आँखे रो रो कर रात काटे चाहत आपने ही थी जताई नाहक हमें बदनाम किया कदमो को हमने है रोका नज़रों को समेटा है हमने ख़त के पुर्जे में भी आखर मिटाया है हमने उलझ रही है सीने में कोई नज़्म मिसरा या दोहा कोरे कागज़ पर लिखा नाम मिटाया है हमने रेत का महल ले डूबा समंदर और अब बारिश की बारी है ज़ख्मों का जो सिला दिया तूने वह सिलसिला अब भी जारी है |
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जनवरी 21, 2012
दिल की तरकीब
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तू है वक़्त गुज़रा हुआ मुरझाया फूल किताबों में रखा तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा कि दिल में तू नहीं अब कोई और है तुम से खिला क...
अच्छी गज़ल...
जवाब देंहटाएंप्रेमपगी..
बहुत खुबू ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसमय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
कोमल भावो की सुन्दर अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंरेत का महल ले डूबा समंदर और अब बारिश की बारी है
जवाब देंहटाएंज़ख्मों का जो सिला दिया तूने वह सिलसिला अब भी जारी है
गहरे अर्थ के साथ लिखी गई लेखनी
sundar bhaav
जवाब देंहटाएंउलझ रही है सीने में कोई नज़्म मिसरा या दोहा
जवाब देंहटाएंकोरे कागज़ पर लिखा नाम मिटाया है हमने ...
उनका मान लिखना भी तो किसी शेर से कम नहीं ... वाह ... गज़ब का शेर है ...
रेत का महल ले डूबा समंदर और अब बारिश की बारी है
जवाब देंहटाएंज़ख्मों का जो सिला दिया तूने वह सिलसिला अब भी जारी है
अच्छी प्रस्तुति
दिल लहूलुहान हुआ आँखे रो रो कर रात काटे
जवाब देंहटाएंचाहत आपने ही थी जताई नाहक हमें बदनाम किया
HR SHER LAJBAB HAI ANA JI ....BAHUT UMDA...BADHAI SWEEKAREN ...AUR HAN MERE NAYE POST PR AP KB AYENGI....BESABRI SE INTJAR HAI.
दिल लहूलुहान हुआ आँखे रो रो कर रात काटे
जवाब देंहटाएंचाहत आपने ही थी जताई नाहक हमें बदनाम किया
HR SHER LAJBAB HAI ANA JI ....BAHUT UMDA...BADHAI SWEEKAREN ...AUR HAN MERE NAYE POST PR AP KB AYENGI....BESABRI SE INTJAR HAI.
komal dil se likhi khubsurat abhivyakti wali rachna...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत एवं लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat likha hai!
जवाब देंहटाएंamitaag.blogspot.com
दिल लहूलुहान हुआ आँखे रो रो कर रात काटे
जवाब देंहटाएंचाहत आपने ही थी जताई नाहक हमें बदनाम किया
कदमो को हमने है रोका नज़रों को समेटा है हमने
ख़त के पुर्जे में भी आखर मिटाया है हमने
Ana ji bahut hi sundar aur gahari anubhuti ko samet rahi hain aap ...sadar badhai ....aur han ak arsa ho gaya apko mere blog pr aaye huye...meri ak rachana Meet bn ke kahani buno to sahi me apne meri hr rachana padhane ka vada kiya tha ....vada yad dilana mera farj tha..