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मै नदी हूँ ............. पहाड़ो से निकली नदों से मिलती कठिन धरातल पर उफनती उछलती प्रवाह तरंगिनी हूँ ...
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मेरे घर के आगे है पथरीली ज़मीन हो सके तो आओ इन पत्थरों पर चलकर पूनम की चाँद ने रोशनी की दूकान खोली है खरीद लो रोशनी ज़िंदगी रोशन कर ल...
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मेरी ख़ामोशी का ये अर्थ नही की तुम सताओगी तुम्हारी जुस्तजू या फिर तुम ही तुम याद आओगी वो तो मै था की जब तुम थी खडी मेरे ही आंग...
 


सच्चाई जीवन की.......
जवाब देंहटाएंतुम्हारे आँखों की रौशनी ही
मेरे जीवन की आस है
तुमसे जुडी हुई लम्हों के -
किस्से ..बड़े ख़ास है
waah bahut sundar...
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल और सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंbadhiya.....
जवाब देंहटाएंbadhayi.
बहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसच्चाई जीवन की.......
जवाब देंहटाएंतुम्हारे आँखों की रौशनी ही
मेरे जीवन की आस है
तुमसे जुडी हुई लम्हों के -
किस्से ..बड़े ख़ास है
सुन्दर प्रस्तुति
Very Nice post
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