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अक्टूबर 24, 2011

दिन की शुरुआत


तुम्हारे आने से सुबह की शुरुआत हुई 
दिन भर लीगों से मेलजोल मुलाक़ात हुई 
मेरे फ़रियाद को सुन रब ने ये कह दिया 
जिससे दिन की शुरुआत हुई उसे इल्म ही तो न हुई 

7 टिप्‍पणियां:

  1. .ये जीवन भी बड़ा ही रोचक एहसास से हमें भीतर से आंदोलित कर देता है । किसी का आना हो या जाना, इसे इससे फर्क नही पड़ता है लेकिन फर्क की लकीर को मिटा कर ङमें आत्मीय क्षणों से साक्षात्कार करा जाता है । आपकी प्स्तुति अच्छी लगी । धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।

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  2. वाह!
    सुंदर....


    आपको और आपके परिवार को दीप पर्व की शु भकामनाएं....

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति |

    दीवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  5. दीवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं

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