नदी के पार कोई गाता गीत
उस स्वर में बसा है मन का मीत
नदी की लहरों खेतों से उठकर
आती ध्वनि मन लेता जीत
होगा इस पार जो लेगा सुन
इस देहाती गानों का उधेड़-बुन
इन एकाकी गानों को सुनकर
मरकर भी जी लेगा पुन-पुन
भानु-चन्द्र का है आलिंगन
प्रकाश से भरा है लालिमांगन
इन गीतों ने छेड़ा है फिर से
राग-अनुराग का आलापन
खूबसूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंत्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||
बहुत बहुत बधाई ||
होगा इस पार जो लेगा सुन
जवाब देंहटाएंइस देहाती गानों का उधेड़-बुन
इन एकाकी गानों को सुनकर
मरकर भी जी लेगा पुन-पुन
.... गहरी अभिव्यक्ति
नदी के पार....
जवाब देंहटाएंगहरे अहसास।
बहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंगज़ब की प्रस्तुति…………………शानदार रचना।
जवाब देंहटाएंbahut pyari prastuti...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंनदी के पार कोई गाता गीत
जवाब देंहटाएंउस स्वर में बसा है मन का मीत
नदी की लहरों खेतों से उठकर
आती ध्वनि मन लेता जीत...बेहतरीन प्रस्तुती....
खूबसूरत प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत..
जवाब देंहटाएंइन गीतों ने छेड़ा है फिर से
जवाब देंहटाएंराग-अनुराग का आलापन
man chaahtaa aise geet nirantar sunte rahein
sundar rachnaa
बहुत हि सुन्दर शब्द रचना|
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता, सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
bahut sunder...........
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