चलो न चले
पकडे डूबते सूरज को
जाने न दे उसे
रोक ले क्षितिज में
चलो न चले
बहते पवन के साथ
चलते चले हम भी
कहीं कोई पुरवाई चले
चलो न चले
चाँद की धरातल पर
सूत कातती है वहाँ
एक अनजानी सी बुढिया
रोक ले उसे
मत कातो ये धागे
ये धागे
रिश्ते नहीं बुनते
चलो न चले
उस जहां में जहां
न सूरज डूबे
न ही कोई रिश्ता टूटे
बहुत खूब इना जी ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
चलो न चले
जवाब देंहटाएंउस जहां में जहां
न सूरज डूबे
न ही कोई रिश्ते टूटे
hain taiyaar hum
अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर|
जवाब देंहटाएंचलो न चले
जवाब देंहटाएंउस जहां में जहां
न सूरज डूबे
न ही कोई रिश्ते टूटे...bhaut khub kaha aapne....
बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंकल 18/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
चरैवेति, चरैवेति!
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें /
गजब की भावनाएं...
जवाब देंहटाएंआमीन................
रोक ले उसे
जवाब देंहटाएंमत कातो ये धागे
ये धागे
रिश्ते नहीं बुनते
सुन्दर!
chalo naa chalo sundar khyaal kavitaa ke jariye baahar nikaaalte raho
जवाब देंहटाएंbahut sundar panktiyaan
चलो न चले
जवाब देंहटाएंउस जहां में जहां
न सूरज डूबे
न ही कोई रिश्ते टूटे ्…………बहुत सुन्दर चाहत्।
खूबसूरत आह्वान .. प्रेरक भी
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण प्रेरक आह्वाहन ....शुभ कामनाएं !!
जवाब देंहटाएंaap sabho bloggero ko bahut bahut dhanyavad ...aap ne samay nikalkar mere post ko nakewal padha balki comment se nawaza bhi....bahut bahut dhanyavad
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत बढि़या।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रेरक अभिव्यक्ति ... मेरे ब्लांग में आने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंchalo n chalen
जवाब देंहटाएंvahan par..
dhartee aur aakash
milen jahan par !!
khoobsoorat sa khwaab...!!