चुप-चुप है मौन प्यार ,खिल खिल जाए बहार जब जब होवे दीदार ,तुम बस कोई नहीं ये क्या मौसम का हाल ,क्या है ये वक्त की चाल क्यों है इश्क में बेहाल ,हम-तुम और कोई नहीं कशमकश मेरे मन में,समाई हो तुम धड़कन में टूट न जाए ये बंधन ,तेरे बगैर बस कोई नही धरती चाँद और ये गगन ,कर दूं मैं तुझे समर्पण सूना था दिल का आँगन ,तुम-ही-तुम कोई नही |
---|
फ़ॉलोअर
अगस्त 09, 2011
चुप-चुप है ..............
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
-
तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
-
कदम से कदम मिलाकर देख लिया आसान नहीं है तेरे साथ चलना तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना यूँ तो तू दरिया और ...
बहुत ही खुबसूरत प्यार की अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत !
जवाब देंहटाएंकशमकश मेरे मन में,समाई हो तुम धड़कन में
जवाब देंहटाएंटूट न जाए ये बंधन ,तेरे बगैर बस कोई नही
Wah ...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव....
जवाब देंहटाएंatti sundar
जवाब देंहटाएंचुप-चुप है मौन प्यार ,खिल खिल जाए बहार
जवाब देंहटाएंजब जब होवे दीदार ,तुम बस कोई नहीं
..बढ़िया खूबसूरत अन्दाज में रची रचना ..
अद्भभुत भावों से भरी रचना,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खूबसूरत.
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत धन्यवाद ......स्वागत है आपका
जवाब देंहटाएंधरती चाँद और ये गगन ,कर दूं मैं तुझे समर्पण
जवाब देंहटाएंसूना था दिल का आँगन ,तुम-ही-तुम कोई नही
सुन्दर समर्पण
वाह! एक और जोड़िए।
जवाब देंहटाएं