भीगे दिन रात और नम हैं पलके
आँखों में धुएं से सपने
ख्वाबों ने रात है बुझाये
सुलगती है आंसू नयन में
बारिश है आग लगाती
भीगे दिन रात और नाम ही पलके
तुझे दिल याद करती है
छलका के नीर नयनों में
गिले शिकवे भुलाकर दिल
संजोये ख्वाब पलकों में
ग़म में डूबा इस दिल को
बूंदों ने उबारा है
बारिश की नेह-बूंदों से
सपनों को सजाया है
सपनो को हकीक़त से
सींचने तुम आओगे
कांच की इन बूंदों से
बगिया ये महकाओगे
रिश्तों को जी लेने दो
बस नाम का रिश्ता नहीं
आ जाओ इस सावन में
रिश्तों को नाम दे दो
सींचने तुम आओगे
कांच की इन बूंदों से
बगिया ये महकाओगे
रिश्तों को जी लेने दो
बस नाम का रिश्ता नहीं
आ जाओ इस सावन में
रिश्तों को नाम दे दो
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खुबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंrishton ko naam de do... ek kadam aur jod lo
जवाब देंहटाएंwah bahut khub...........
जवाब देंहटाएंसपनो को हकीक़त से
जवाब देंहटाएंसींचने तुम आओगे
कांच की इन बूंदों से
बगिया ये महकाओगे
कांच की बूंद...वाह,यह प्रतीक अच्छा लगा।
एक सुंदर और प्रभावशाली रचना के लिए धन्यवाद।
सुंदर रचना ,सावन की खुशबू के साथ
जवाब देंहटाएंKhoobsurat blog par khoobsurat rachnayen...
जवाब देंहटाएंAakarshan
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना!उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंtoo good.....
जवाब देंहटाएंsawn ki bhigi ummedo ke sath bhigi si ye rachna acchhi lagi.
जवाब देंहटाएंग़म में डूबा इस दिल को
जवाब देंहटाएंबूंदों ने उबारा है
बारिश की नेह-बूंदों से
सपनों को सजाया है
अहसासों की खुबसूरत अभिव्यक्ति ....!
जितनी मोहक तश्वीर उतना दिलकश अदांज।
जवाब देंहटाएंतुझे दिल याद करती है...तुझे दिल याद करता है
ग़म में डूबा... ग़म में डूबे