वक्त बेवक्त तेरा आना अच्छा लगता है यादों के सागर में डूबना अच्छा लगता है चुटकियों में दिन गुज़रकर शाम जो हो जाती है तेरी यादों में तारे गिनना भी अच्छा लगता है || ये यादें भी बेमुरव्वत बेवफा होती है कभी आती है तो कभी गुम हो जाती है नफरत है तेरी यादों से जो रुला जाए बार बार पर मरहम भी तो दिल को तेरी याद ही लगाती है || वजह यही है तेरी यादों को सजोने का एक बेवफा के प्यार को ज़ुदा न करने का रौशनी तले अँधेरा है ये मेरा दिल भी जाने पर कोशिश है अँधेरे में दिया जलाने का || |
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जुलाई 21, 2011
तेरा आना......
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bahut hi kub
जवाब देंहटाएंवक्त बेवक्त तेरा आना अच्छा लगता है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत भाव हैं...
Kitni khubsurat yaadein hai , waah
जवाब देंहटाएंwakai behtreen parastuti
behteen rachna
जवाब देंहटाएंkabhi hamare blog par bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
badiya prastuti...
जवाब देंहटाएंvery very nice ANA ji .
जवाब देंहटाएंरौशनी तले अँधेरा है ये मेरा दिल भी जाने
जवाब देंहटाएंपर कोशिश है अँधेरे में दिया जलाने का ||
रंग लाती कोशिश ....
yaadein , bahut sunder
जवाब देंहटाएंवक्त-बेवक्त तेरा आना अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है।मेरी कविता अच्छा लगता है पढियेगा
अच्छा लगेगा।मेरे ब्लाग पर आने के लिये धन्यवाद।
पर मरहम भी तो दिल को तेरी याद ही लगाती है ||
जवाब देंहटाएंbahut achha laga aapko padhna.
shubhkamnayen