थाम लूं हाथों से सपनो को
बंद पलकों से सपने क्या ख़ाक गिरेंगे
खोल लो इन बंद पलकों को
आँखों ने रची थी साजिश
पलने न देंगे ख्वाबों को
बुनने न देंगे ज़िन्दगी के
उधड़े तानो बानो को
लाख बचा लो सपनो को
है वो रेत का महल आखिर
टूटेगा सपना गिरेगा महल
सच्चाई हो जायेगी ज़ाहिर
पलके है अस्मत आँखों की
नज़रों को नज़रों से बचाना है
खुले पलकों में ऐ कमबख्त
ख्वाव कैसे पलता है .
waah, bahut khub anamika ji...:)
जवाब देंहटाएंपलके है अस्मत आँखों की
जवाब देंहटाएंनज़रों को नज़रों से बचाना है
खुले पलकों में ऐ कमबख्त
ख्वाव कैसे पलता है . waah ...
लाख बचा लो सपनो को
जवाब देंहटाएंहै वो रेत का महल आखिर
टूटेगा सपना गिरेगा महल
सच्चाई हो जायेगी ज़ाहिर
waah
bhut khubsurat rachna.......
जवाब देंहटाएंपलके है अस्मत आँखों की
जवाब देंहटाएंनज़रों को नज़रों से बचाना है
खुले पलकों में ऐ कमबख्त
ख्वाव कैसे पलता है
LAAJAWAAB... RACHNA. SUNDAR MANOBHAV
शानदार अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआँखों ने रची थी साजिश
जवाब देंहटाएंपलने न देंगे ख्वाबों को
अच्छी रचना ||
आँखे हैं दोषी बड़ी, लेती वो सब देख |
देखें सारे छिद्र पर, पढ़ती कम आलेख ||
पढ़ती कम आलेख, सरसरी डाल निगाहें |
करती भली टिप्पणी, अक्सर झूठ सराहें ||
आये गलती ध्यान, मैल मन में न राखें |
आलोचक बन लिखें, ध्यान देकर के आँखें ||
लाजवाब है ये रचना,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
लाख बचा लो सपनो को
जवाब देंहटाएंहै वो रेत का महल आखिर
टूटेगा सपना गिरेगा महल
सच्चाई हो जायेगी ज़ाहिर
और
आँखों ने रची थी साजिश
पलने न देंगे ख्वाबों को
वाह बहुत बढ़िया
आँखों ने रची थी साजिश
जवाब देंहटाएंपलने न देंगे ख्वाबों को
बुनने न देंगे ज़िन्दगी के
उधड़े तानों-बानों को
आंखों की साजिश, ख़्वाबों के ख्य़िलाफ,
वाह, बेहतरीन पंक्तियां।
पलके है अस्मत आँखों की
जवाब देंहटाएंनज़रों को नज़रों से बचाना है
खुले पलकों में ऐ कमबख्त
ख्वाव कैसे पलता है .
अगर यह पता चल जाए तो फिर हम समझ जाएँ की अच्छा ख़्वाब और बुरा ख़्वाब हम स्वयं निर्धारित कर लेंगे ...आपका आभार