पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे में
वन कि चिड़िया थी वन में
एकदिन हुआ दोनों का सामना
क्या था विधाता के मन में
वन की चिड़िया कहे सुन पंजरे की चिड़िया रे
वन में उड़े दोनों मिलकर
पिंजरे की चिड़िया कहे वन की चिड़िया रे
पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर
वन की चिड़िया कहे ना ......
मैं पिंजरे में कैद रहूँ क्योंकर
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय
निकलूँ मैं कैसे पिंजरा तोड़कर
वन की चिड़िया गाये पिंजरे के बाहर बैठे
वन के मनोहर गीत
पिंजरे की चिड़िया गाये रटाये हुए जितने
दोहा और कविता के रीत
वन की चिड़िया कहे पिंजरे की चिड़िया से
गाओ तुम भी वनगीत
पिंजरे की चिड़िया कहे सुन वन की चिड़िया रे
कुछ दोहे तुम भी लो सीख
वन की चिड़िया कहे ना ...........
तेरे सिखाये गीत मैं ना गाऊं
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय!
मैं कैसे वनगीत गाऊं
वन की चिड़िया कहे नभ का रंग है नीला
उड़ने में कहीं नहीं है बाधा
पिंजरे की चिड़िया कहे पिंजरा है सुरक्षित
रहना है सुखकर ज्यादा
वन की चिड़िया कहे अपने को खोल दो
बादल के बीच, फिर देखो
पिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बांधकर
कोने में बैठो, फिर देखो
वन की चिड़िया कहे ना.......
ऐसे में उड़ पाऊँ ना रे
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय
बैठूं बादल में मैं कहाँ रे
ऐसे ही दोनों पाखी बातें करे रे मन की
पास फिर भी ना आ पाए रे
पिंजरे के अन्दर से स्पर्श करे रे मुख से
नीरव आँखे सबकुछ कहे रे
दोनों ही एक दूजे को समझ ना पाए रे
ना खुद को समझा पाए रे
दोनों अकेले ही पंख फड़फड़आये
कातर कहे पास आओ रे
वन की चिड़िया कहे ना............
पिंजरे का द्वार हो जाएगा रुद्ध
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय
मुझमे शक्ति नही है उडूं खुद
गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित काव्य का काव्यानुवाद
bhut hi khubsurat shabdo se saji rachna....
जवाब देंहटाएंnice picture..
जवाब देंहटाएंवन की चिड़िया कहे अपने को खोल दो
जवाब देंहटाएंबादल के बीच, फिर देखो
पिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बांधकर
कोने में बैठो, फिर देखो
apni apni baat... bahut achhi lagi
इस लाजावाब कविता का सरस अनुवाद।
जवाब देंहटाएंदोनों की अपनी अपनी बात , सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThat is really topic you have raised here. I could get lot more knowledge from your article.. thanks for sharing.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
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कल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर अनुवाद्।
जवाब देंहटाएंगुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित इस खूबसूरत कविता के सुन्दर अनुवाद के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी