इन पीले पत्तों को कभी गिरते हुए देखा है सुखी पत्ती घुमती हुई ,धरती को छूतीहै धरती के आगोश में समाने को उत्सुक है क्यों न हो आखिर उसे खाद बनना है एक और पेड़ जनना है घोंसलों में नींव बनना है चिड़ियों को बचाना है गिलहरियों का बिछोना है इन पत्तियों को यूं ही बर्बाद न होने दो इन्हीं पत्तियों से धरती को आबाद करना है |
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जून 07, 2011
इन पीले पत्तों को .....
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इन पत्तियों को
जवाब देंहटाएंयूं ही बर्बाद
न होने दो
इन्हीं पत्तियों से
धरती को आबाद
करना है
sahi kaha
bhut sundar
जवाब देंहटाएंपीले पत्तों के बहाने कितना कुछ कह दिया आपने।
जवाब देंहटाएं---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
भ्रष्टाचार के इस सवाल की उपेक्षा क्यों?
पीली और सूखी ये पत्तियां भी कितने काम की हैं...
जवाब देंहटाएंइन्हीं पत्तियों से
जवाब देंहटाएंधरती को आबाद
करना है
बेहद भावपूर्ण शब्द
इन्हीं पत्तियों से
जवाब देंहटाएंधरती को आबाद
करना है
अति सुंदर,बधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
waah! gahan chintan karati rachna...
जवाब देंहटाएंहम भी जब अवसान की ओर जाते हैं तो कुछ इसी तरह झूमना चाहिए। हालांकि अमूमन ऐसा हो नहीं पाता। अच्छी कविता के लिए बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच
Behad arthpurn..sundar kavita...aabhar...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंपीले पत्तों के बहाने कितना कुछ कह दिया आपने। सुन्दर रचना|
जवाब देंहटाएंकई सारे सन्देश देती यह अर्थपूर्ण कविता दिल को छू गयी है | पर्यावरण के बारे में और पीले पत्तों के माध्यम से बुजुर्गो के बारे में कितना सटीक कहा है आप ने !
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