मेरे ज़ख्मो को सहलाने की कोशिश न करो
मेंरे दर्द को बहलाने की साजिश न करो
मुझे तुमसे जो दर्दें सौगात में मिली है
उन पर मलहम लगाने की ख्वाहिश न करो
अश्कों को तो ... पी लिया मैंने
रिश्ता जो था ... तोड़ लिया मैंने
अब इन रिश्तो के दरार को
प्यार से भरने की कोशिश न करो
आंसूओं के समंदर में डूब गया जो दिल
सपनो के खँडहर में दब गया जो पल
तन्हाइयों के दरख्तों में जो नींव बनाया मैंने
उस आशियाने को उजाड़ने.....आया मत करो
तन्हाइयों के दरख्तों में जो नींव बनाया मैंने
जवाब देंहटाएंउस आशियाने को उजाड़ने.....आया मत करो
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ हैं.
सादर
मेरे ज़ख्मो को सहलाने की कोशिश न करो
जवाब देंहटाएंमेंरे दर्द को बहलाने की साजिश न करो
मुझे तुमसे जो दर्दें सौगात में मिली है
उन पर मलहम लगाने की ख्वाहिश न करो
...आदत है इनको जीने की और सच भी है कि ऐसे घाव नहीं भरते
सुभानअल्लाह
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति........
जवाब देंहटाएंक्यूँ...???
जवाब देंहटाएंआखिर क्यों...ऐसा न करें..:)
एक प्रभावशील रचना...
मुझे तुमसे जो दर्दें सौगात में मिली है
जवाब देंहटाएंउन पर मलहम लगाने की ख्वाहिश न करो
सुंदर पंक्तियां...
प्यार में दिल पे लगे जख्म इतनी आसानी से कहॉ मिटते है।
जवाब देंहटाएंbhut hi dard bhari aur bhaavpur panktiya hai...
जवाब देंहटाएंतन्हाइयों के दरख्तों में जो नींव बनाया मैंने
जवाब देंहटाएंउस आशियाने को उजाड़ने.....आया मत करो
सुंदर पंक्तियां
अंतर्मन की नाज़ुक भावनाओं पर आधारित यह कविता दिल को छू गयी.आभार. बहुत-बहुत शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंक्या बात कही है आपने
दिल से निकली और सीधे दिल में उतर गयी
bahut sundar abhibykti
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