चादर पर पड़े सिलवटों की भी जुबां होती है कभी प्यार तो कभी ग़म की कहानी कहती है रेत गीली कर जाती है जो तूफ़ानी समंदर वो समुंदर भी आंसुओं से ही नमकीन होती है मिटटी की सोंधी खुशबू ने जिन फिज़ाओं को महकाया है उन फिज़ाओं में ही पतझड़ की कहानी होती है पानी के बुलबुले को भूल से मुहब्बत मत समझो इन बुलबुलों में बेवफाई की दास्ताँ होती है |
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मई 04, 2011
चादर पर पड़े .......
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बहुत कोमल मासूम से एहसास
जवाब देंहटाएंvery nice...
जवाब देंहटाएंचादर पर पड़े सिलवटों की भी जुबां होती है--- vaah bahut khoob sabhee paMMktiyaaMM bahut acchee lagee| aabhaara|
जवाब देंहटाएंमिटटी की सोंधी खुशबू ने जिन फिज़ाओं को महकाया है
जवाब देंहटाएंउन फिज़ाओं में ही पतझड़ की कहानी होती है
बहुत खूब कहा आपने. बधाई
दुनाली पर स्वागत है-
ओसामा की मौत और सियासत पर तीखा-तड़का
इस कविता का तो जवाब नहीं !
जवाब देंहटाएंatyant sundar kaavya........
जवाब देंहटाएंwaah !
मिटटी की सोंधी खुशबू ने जिन फिज़ाओं को महकाया है
जवाब देंहटाएंउन फिज़ाओं में ही पतझड़ की कहानी होती है
बेहद प्रभावशाली रचना। आभार।
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंसलवटों की जुबां....वाह भई समझने की बात है
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी
कोमल अहसासों से सने शब्द बधाई
जवाब देंहटाएंपानी के बुलबुले को भूल से मुहब्बत मत समझो
जवाब देंहटाएंइन बुलबुलों में बेवफाई की दास्ताँ होती है
सुन्दर लिखा है .
सम्पूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएं--सुन्दर नज़्म भाव पूर्ण...
जवाब देंहटाएं"वो समुंदर भी आंसुओं से ही नमकीन होती है.." ---क्रपया लिन्ग का ध्यान रखें...समन्दर के लिये..होता है.. होना चाहिये...
बहुत अच्छे भाव लिए हुए है आपकी ये रचना
जवाब देंहटाएंअनामिका जी सुन्दर रचना -भाव भाव बहुत प्यारे पर जैसा की हमने पहले भी आप का ध्यान जागरण जंक्सन पर भी दिलाया था
जवाब देंहटाएंस्त्रीलिंग और पुल्लिंग का ध्यान रखा कीजिये भाव और रचना तब और खूबसूरत बन जाये कृपया निम्न सुधारें
रेत गीला कर जाता है जो तूफ़ानी समंदर
वो समुंदर भी आंसुओं से ही नमकीन होता है
शुक्ल भ्रमर ५
सुन्दर अभिब्यक्ति ....
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