(1)
आँखों से झांकते हुए तुम दिल में उतर गए
हया का पर्दा है जो तुम्हे मुझसे है अलग करता
(2)
तुम्हे पाने की आरज़ू ने मुझे दीवाना बना दिया
तुम्हारे प्यार को पाना मैंने मकसद बना लिया
तुम्हे न पाने से जो सूरत-ए-हाल होगा सनम
ये सोचना भी दिल गवारा नही करता
आँखों से झांकते हुए तुम दिल में उतर गए
हया का पर्दा है जो तुम्हे मुझसे है अलग करता
(2)
तुम्हे पाने की आरज़ू ने मुझे दीवाना बना दिया
तुम्हारे प्यार को पाना मैंने मकसद बना लिया
तुम्हे न पाने से जो सूरत-ए-हाल होगा सनम
ये सोचना भी दिल गवारा नही करता
बहुत खूब ,बधाई
जवाब देंहटाएंSUNDER SHAYRI
जवाब देंहटाएंप्यार के रंग अजीब होते हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छे नज्म।
सुन्दर...
जवाब देंहटाएं:)...dil se likhi panktiyan achchi lagti hai!
जवाब देंहटाएंबहुत खुब
जवाब देंहटाएंदोनो शेर बेहतरीन है
आरजू, कब पूरी होती है?
शुभकामनाये
nice one...ana ji...
जवाब देंहटाएंआपकी यह नज़्म बहुत अच्छी लगी हमें
Marvellous.
जवाब देंहटाएंआज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना
"तुम्हे पाने की आरज़ू ने मुझे दीवाना बना दिया
जवाब देंहटाएंतुम्हारे प्यार को पाना मैंने मकसद बना लिया"
वाह ... क्या बात है
बहुत सुन्दर
मन की भावनाएं
जवाब देंहटाएंऔर
मन भावन शब्द ....
सुन्दर काव्य !!