वो लम्हे ....
जो साथ गुज़ारे थे
ख्वाब सजाये थे
नींद उडायी थी
याद तो है न!
.........
वो प्यार........
जिसे लम्हों ने सींचा था
पलकों पर सजाया था
उसके खुशबू के दामन से
जीवन महकाया था
याद तो है न!
...........
वो दिन........
जीने मरने की हम
कसमे जो खाते थे
साथ न छोड़ेंगे
कहते न थकते थे
याद तो है न!
..............
फिर क्यों .......
ये दूरी मजबूरी
धागे रिश्तो के ये
टूटी ..जो न फिर जुड़ी
आखिर भूल ही गए न !!!!!
सुन्दर ... बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली कविता हैं,
जवाब देंहटाएंसचमुच बहुत सुन्दर बात कही हैं अपने.
सुन्दर अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर,,,
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत.... दिल को छू गई यह कविता...
जवाब देंहटाएंमन को झंकृत कर गये भाव।
जवाब देंहटाएंहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।
बहुत सुंदर अभिवयक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंachche nagme hai.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंbahut sunder
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