फ़ॉलोअर

मई 24, 2010

विचारों का बादल...........

विचारों का बादल उमड़ते घुमड़ते आ ही जाते है
शब्द जाल के उधेड़ बुन में जकड़ ही जाते है
व्याकरण की चाशनी में डूब ही जाती है
वर्ण-छंद के लय ताल में पिरो दी जाती है

लेखनी की झुरमुटों से जब निकलता  है
विचार मात्र विचार ही नहीं वांग्मय बन जाता है
कृति ये ज्योत बनकर जगमगाता है
अपने प्रकाश से प्रकाशित कर सब पर छा जाता है

तिस पर उसे गर स्वर में बांधा तो गीत बनता है
सुर का जादू गर चले तो समां बंध जाता है
विचारों को बढ़ने के दो पग मिल जाते है
(इस तरह )सम्पूर्णता को प्राप्त कर वो झिलमिलाते है

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर, आज आपकी कई रचनाए पढ़ी अच्छा लगा!

    जवाब देंहटाएं
  2. टिप्पणी के लिए वर्ड वेरिफिकेसन हटा दें, और ब्लोग्वानी व चिट्ठाजगत पर पंजीकरण करवा लें, जिससे कि ज्यादा लोग आपकी रचनाओं को पढ़ सकेंगे, कोई परेशानी हो तो nilumathur@gmail.com पर मेल कर सकते हैं!

    जवाब देंहटाएं

ब्लॉग आर्काइव

widgets.amung.us

flagcounter

free counters

FEEDJIT Live Traffic Feed