आँखों से नींदे बहे रे
सपने सजन के कहे रे
महल सुनहरे ख्वाब का
बना ले नींद-ए-जहां में
हवा में उड़े है वो सारे
नींदों में बसा जो सपना
क़ैद ख्वाबगाह में कर ले
हो जायेगा वो अपना
समय से परे कहीं पर
सजा ले जहां वहीँ पर
जमीं पर ख्वाब गिरे तो
दरक न जाये हसीं पल ।।
आँखों के नींद कहे रे
चुपके से सुन सजन रे
सुरों में ढले जो सपने
जहां सारा सुने रे ।।
पलकों के नीचे है बसेरा
फलक तक जाए हर रात
होंठों को छू ले जो ये
उजाला होवे सवेरा ।।
समय से परे कहीं पर
सजा ले जहां वहीँ पर
जमीं पर ख्वाब गिरे तो
दरक न जाये हसीं पल ।।
आँखों के नींद कहे रे
चुपके से सुन सजन रे
सुरों में ढले जो सपने
जहां सारा सुने रे ।।
पलकों के नीचे है बसेरा
फलक तक जाए हर रात
होंठों को छू ले जो ये
उजाला होवे सवेरा ।।
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट ||
जवाब देंहटाएंसमय से परे कहीं पर
जवाब देंहटाएंसजा ले जहां वहीँ पर
जमीं पर ख्वाब गिरे तो
दरक न जाये हसीं पल ।।
बहुत सुन्दर ..
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंbehatareen prastuti../
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति... आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंआँखों के नींद कहे रे
जवाब देंहटाएंचुपके से सुन सजन रे
सुरों में ढले जो सपने
जहां सारा सुने रे ।।
बहुत सुन्दर
बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 29-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ..अपने बच्चों के लिए थोडा और बलिदान करें.... .धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब प्रस्तुति ... भावनाओं का सागर लिए ...
जवाब देंहटाएंके बारे में महान पोस्ट "आँखों से नींदे बहे रे"
जवाब देंहटाएंमूंद लों पलके ..
जवाब देंहटाएंफिर भी कामना ..तब भी मुंदेगी नहीं |
gungunati sunder rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen