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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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कदम से कदम मिलाकर देख लिया आसान नहीं है तेरे साथ चलना तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना यूँ तो तू दरिया और ...
इस क्यों का जवाब कौन दे पायेगा भला
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंकोई तो बताये !
जवाब देंहटाएंकौन है सहाय!
अब सहा न जाए ! यूं ।
सही कहा आपने, आपसे सहमत ...
सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंबड़े मुश्किल है ये प्रश्न.....कौन दे आखिर जवाब............????
जवाब देंहटाएंबड़े प्रश्न हैं...
जवाब देंहटाएंउत्तर बनना होगा हमें ही!
देश है त्रस्त !
जवाब देंहटाएंलुटेरे है मस्त !
अनाचार ज़बरदस्त ! क्यों?
सशक्त प्रभावी रचना,,,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
विचरोत्तेजक रचना।
जवाब देंहटाएंकोई बताये , कौन है सहाय,
जवाब देंहटाएंसब पूछ हारे , हाय !
आखिर कौन बचाए.... :-(
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर.... पापा, आपसे माफ़ी मांगता ही रहूँगा......
बेहद सार्थक भाव ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (19-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
इस क्यूँ का कोई जवाब ही नहीं हैं ....
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रचना
इस एक क्यूँ का जवाब शायद हामरे अंदर ही छुपा है कहीं बस देश के हर एक नागरिक को खुद को समझना अभी बाकी है।
जवाब देंहटाएंये चीत्कार, ये हाहाकार खुद का खुद के अंदर ही है ... और खुद ही दुरुस्त किया जा सकता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंbahut hi behtareen sargarbhit prshno ko sametati hui rachana ...abhar ana ji
जवाब देंहटाएंयह प्रश्न खुद समस्या की ओर इंगित कर रहा है. बहुत सुंदर चिंतन और सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंye kyu bahut bhayanak hai jo sadiyon se chala aa raha hai lekin badlaav door door tak nazar nahi aata.
जवाब देंहटाएंme nepal se hu. muhe hindi thoda samjme aata he. aur me hindi sikna chata hu aur hindi article padna vi. muhe ye kabita bahat acchha laga :)
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना...
इन प्रश्नो के जवाब मिलने इतने आसान नही
जवाब देंहटाएंआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
जवाब देंहटाएंइस क्यों का जवाब कौन देगा ? विचारणीय रचना
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