ये धूप की बेला ये छांव सी ज़िन्दगी न चांदनी रात न सितारों से दिल्लगी जमी हूँ मै शिला पर - बर्फ की तरह काटना है मुश्किल ये पहाड़ सी ज़िन्दगी थम जाती है साँसें पलकें हो जाती है भारी भरकर तेरी आहें आंसूं बहे है खारी अनजाने अजनबी तुम जीवन में यूं आये
हसीं ख्वाब मेरे
तुमने यूं चुराए
मन की चोर निगाहें
ढूंढें परछाईं मेरी
हवाओं की सरसराहट
पैगाम लाती थी तेरी
वो भूला सा शख्स
ये यादों का बज़्म
तेरी याद में लिख दिया
ये दर्द भरा नज़्म
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अप्रैल 27, 2012
ये धूप की बेला
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तेरी याद में लिख दिया
जवाब देंहटाएंये दर्द भरा नज़्म
wah...prem.....punrn kawita..aabhar
बहुत भावपूर्ण रचना |"यह धुप की बेला, यह छाँव सी जिंदगी ,
जवाब देंहटाएंना चांदनी रात ना सितारों से दिल्लगी "
मन को छूती पंक्तियाँ |
आशा
कोमल भावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहाँ, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
यूँ कभी आसान तो कभी बड़ी मुश्किल हैं ये जिंदगी
जवाब देंहटाएंसुन्दर नज़्म
जवाब देंहटाएंहिम्मत से रहिये डटे, घटे नहीं उत्साह |
जवाब देंहटाएंकोशिश चढ़ने की सतत, चाहे दुर्गम राह |
चाहे दुर्गम राह, चाह से मिले सफलता |
करो नहीं परवाह, दिया तूफां में जलता |
चढ़ते रहो पहाड़, सदा जय माँ जी कहिये |
दीजै झंडे गाड़, डटे हिम्मत से रहिये ||
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंअनजाने अजनबी तुम
जीवन में यूं आये
हसीं ख्वाब मेरे
तुमने यूं चुराए
सुंदर कविता..
अनु
Beautiful creation. Thanks.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंbahut sunder .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया, उत्कृष्ट रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ पढ़ने को बाकि है.....समर्थक बन रही हु.....अब आती रहूंगी....
मैं तो हक्का बक्का रहा गया आपकी कविताओं को पढ़कर कहूँगा तो कह देंगी कि मिथ्या तारीफ़ कर रहा हूँ . आप कहाँ थीं आज तक ,
जवाब देंहटाएंमेरा नसीब कि आपकी कविताएँ पढ़ने का सौभाग्य मिला .सचमुच सभी कविताएँ अति भावमय ........
good one . my new blog Kshubham-dharam.blogspot.com
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