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नवंबर 24, 2011

रिश्तो को गहराने दो


धीरे धीरे रूहानी  रिश्तो को गहराने दो 
शाख से जुड़े कच्चे  लम्हों को पक जाने दो 


परिंदों का उड़ना ही  था की पर काट दिए 
चिंगारी को ज़रा सा उड़ने की खुमारी दे दो 


लम्हे गिरेंगे शाख से जब पक जायेंगे ये कच्चे पल
संभालना है मुझे तारीखों में बसे पके हुए कल


फिर ये कैसा ठहराव है इस वीरान जिंदगानी में 
इन प्यार के कतरों को दरियाई गहराई दे दो 





9 टिप्‍पणियां:

  1. फिर ये कैसा ठहराव है इस वीरान जिंदगानी में
    इन प्यार के कतरों को दरियाई गहराई दे दो
    गजब की सोंच क्या बात है बधाई ......

    जवाब देंहटाएं
  2. फिर ये कैसा ठहराव है इस वीरान जिंदगानी में
    इन प्यार के कतरों को दरियाई गहराई दे दो.... बेहतरीन शब्द रचना.....

    जवाब देंहटाएं
  3. धीरे धीरे रूहानी रिश्तो को गहराने दो
    शाख से जुड़े कच्चे लम्हों को पक जाने दो

    बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. rishte gahre huye binaa
    ruhaani nahee hote
    sab rishton se upar hote

    जवाब देंहटाएं
  5. लम्हे गिरेंगे शाख से जब पक जायेंगे ये कच्चे पल
    संभालना है मुझे तारीखों में बसे पके हुए कल

    सुन्दर भाव.......

    जवाब देंहटाएं
  6. फिर ये कैसा ठहराव है इस वीरान जिंदगानी में
    इन प्यार के कतरों को दरियाई गहराई दे दो

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं

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