आँखों की भाषा पढना सीखो खामोशी को चुपके से सुनना सीखो शब्द बिना बोले लब से जुबां की भाषा समझना सीखो सुनो गुनगुनाती हवा को सन सन सन सन कहती है क्या शब्दों की मद्धिम आहट सुनकर क़दमों को पहचानना सीखो छूना न ठहरे पानी को इक इक लम्हा गिर जाएगा चटक जायेंगी गहराइयां ग़म का प्याला दरक जाएगा जुबां तुम न खोलो पिया आँखों से खोलो जिया नयनों के अश्कों की भाषा को समझना सीखो |
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अक्तूबर 01, 2011
आँखों की भाषा....
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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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कदम से कदम मिलाकर देख लिया आसान नहीं है तेरे साथ चलना तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना यूँ तो तू दरिया और ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसुन्दर और कोमल अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंछूना न ठहरे पानी को
जवाब देंहटाएंइक इक लम्हा गिर जाएगा
चटक जायेंगी गहराइयां
ग़म का प्याला दरक जाएगा ....
सुन्दर अभिव्यक्ति
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आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंजुबां तुम न खोलो पिया
जवाब देंहटाएंआँखों से खोलो जिया
नयनों के अश्कों की
भाषा को समझना सीखो
बोली गई भाषा की तुलना में चेहरे के हाव-भाव की भाषा ज्यादा प्रभावशाली होती है।
बढि़या कविता।
सुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण.....
बहुत प्यारी कविता कही आपने
जवाब देंहटाएंबधाई