जाने क्यों ये दिल रोता है , जीवन में सब कुछ धोखा है, चुपके से आना दिल में समाना- महकती पवन का झोंका है | अनजान पल जो ढल गए कल, रंग बदल मन- को गए छल, वक्त के साथ रहे है गल, बेवफाई ये अपनों का है | राह वही, वही है सफ़र , तेरा साथ नहीं है मगर , बिन तेरे- मेरे हमसफ़र टूटा सपनों का झरोखा है जाने क्यों ये दिल रोता है , जीवन में सब कुछ धोखा है, |
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सितंबर 13, 2011
जाने क्यों...
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जाने क्यों ये
जवाब देंहटाएंदिल रोता है ,
जीवन में सब
कुछ धोखा है,
बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई आभार
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंप्रेमपुर्ण रचना
आभार
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएं------
कल 14/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंजीवन में सब कुछ धोखा है...
जवाब देंहटाएंवाह...
बढ़िया रचना...
सादर....
तू है तो सब है
जवाब देंहटाएंतू नहीं तो कुछ भी नहीं...
बिन तेरे-
जवाब देंहटाएंमेरे हमसफ़र
टूटा सपनों का
झरोखा है
...बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
सुंदर प्रेमाभिव्यक्ति.वाह !!
जवाब देंहटाएंसबसे पहले हिंदी दिवस की शुभकामनायें /विरह वेदना को उजागर करती हुई सुंदर शब्दों मैं लिखी शानदार रचना बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /
http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html
तुक की अपेक्षा शब्द संयोजन और अर्थ को संभालना ज्यादा श्रेयस्कर रहता है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी का शॉट
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
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