घुप्प रात का अँधेरा
परछाई का नहीं नामोनिशाँ
फिर ये साया कौन?
जो मेरा हमराही है बन रहा
तुझसे बिछड़कर मरने का
कोई इरादा तो नही
इश्क किया है तुझसे
पर इतना बेपनाह तो नही
एकटक सितारों को क्यों देखते हो
इन सितारों से मिलने का तमन्ना तो नहीं ?
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kaun hai jo sitaron se milnaa nahee chaahtaa
जवाब देंहटाएंunkmein nirantar khonaa nahee chaahtaa
ver nice
तुझसे बिछड़कर मरने का
जवाब देंहटाएंकोई इरादा तो नही
इश्क किया है तुझसे
पर इतना बेपनाह तो नही
बेपनाह इश्क तो अब किताबी बातें हैं..:)
वाह सुंदर छोटी सी बात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंbahut sundar...........
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंbeautiful poem .......
जवाब देंहटाएंbhut hi sunder abhiyakt...
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा ।
जवाब देंहटाएंमिलने का तमन्ना
के बजाय
मिलने की तमन्ना
कर लिया जाय ।