फ़ॉलोअर

अप्रैल 08, 2011

मन कोयला .....

 मन कोयला बन जल रख हुई 
धूआं उठा जब इस दिल  से 
नाम तेरा ही लिखा फिर भी 
हवा में, बड़े जतन से 


        तेरी याद मन के कोने से 
        रह-रह कर दिल को भर जाए 
        जिन आँखों में बसते थे तुम 
              उन आँखों को रुला जाए 


जाने क्यों दिल की बस्ती में 
है आग लगी ,दिल जाने ना,
पूछ न हाल इस दिलजले का 
जलता जाए बुझ पाए ना 



5 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग आर्काइव

widgets.amung.us

flagcounter

free counters

FEEDJIT Live Traffic Feed